भोज खाने के चक्कर में भेड़िया पिटाया, हिन्दी रोचक कहानी !
एक दिन की बात है जब रामू की मां उसके लिए खेत में खाना लेकर आई, तो वह कुछ परेशान सी लग रही थी। रामू ने अपनी मां से पूछा की 'मां क्या बात है तुम क्यों इतनी परेशान हो' रामू की बात सुनकर उसकी मां ने कहा 'बेटा कोई बात नही है मैं थोड़ी थक गई हूं। इसलिए परेशान लग रही हूं'। यह कहकर रामू की मां ने रामू को खाना खाने के लिए दिया। लेकिन यह क्या? रामू ने जैसे ही खाने का डब्बा खोला! उसे ऐसा लगा की किसी का जूठा खाना उसकी मां लेकर आई है। जब रामू ने यह बात पूछा तो उसकी मां ने कहा ' नही बेटा यह तो अच्छा खाना है'! मां की बात सुनकर रामू चुपचाप से खाना खाने लगा लेकिन उसके मन से यह बात निकल नही रही थी।
दूसरे दिन भी रामू की मां उसके लिए वैसा ही खाना लेकर खेत में गई। फिर तीसरे दिन और अब ऐैसा हमेशा होने लगा। रामू का शक अब यकीन में बदल रहा था और उसने एक दिन मां से यह पूछ ही लिया! 'बताओ मां तुम किसका जूठा खाना मुझे खिलाती हो'
रामू की बात सुनकर उसकी मां बोली! 'नही - नही बेटा मैं तो तुम्हारे लिए अच्छा खाना ही लेकर आती हूं'
अपनी मां की बात सुनकर रामू ने कहा 'नही मा मुझे पता है कि तुम किसी का जूठा खाना मुझे खिलाती हो, ऐैसा क्यो करती हो, क्या तुम मुझसे प्यार नही करती, बोलो तुमको मेरी कसम है'।
रामू की बात सुनकर उसकी ने मां सारी घटना उससे बताई ' कहा जब मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूं तो रास्ते में एक शैतान भेड़िया अपने झुंड में आकर मेरा रास्ता रोक लेता है और कहता जो खाना तुम अपने बेटे के लिए लेकर जा रही हो उसे पहले मुझे दो मैं खाउंगा!' मुझे उसके डर से खाना उसको देना पड़ता है और इतना ही नही खाने के साथ - साथ वह शैतान भेड़िया मुझसे अपना पांव भी दबाने को बोलता है और ऐसा ना करने पर मुझे मारने की धमकी भी देता है।'
मां की बात सुनकर रामू को बहुत गुस्सा आता है और वह अपनी मां से कहता है 'उस भेड़िए की इतनी हिम्मत की वो तुम्हे पांव दबाने को बोले। ' फिर कुछ देर सोचने के बाद रामू ने अपनी मां को एक तरकीब बताई कि 'कल तुम उस भेड़िए के साथ ऐसा ही करना'।
अगले दिन जब रामू की मां उसके लिए खाना लेकर जा रही थी तो रास्ते में फिर से भेड़िए ने उसे रोक लिए इसबार वह अकेला था, भेड़िए वे कहा- ऐ बुढिया चल खाना मुझे दे और मेर पांव दबा' इतना कहकर भेड़िया रामू की मां से खाना छीन कर खाने लगता है और रामू की मां भेड़िए का पांव दबाने लगती है। फिर उसको अपने बेटे की तरकीब याद आती है और वो चुपके से अपने साथ में लाई चाकू धीरे - धीरे निकालती है कि अचानक भेड़िया रामू की मां से कहता है! ' शरीर में जान नही है क्या जो इतना धीरे -धीरे दबा रही है, जोर लगाकर दबा'। रामू की मां कहती है हां - हां जरूर! वह भेड़िए का पांव दबाते - दबाते अचानक तेज धार वाली चाकू अपने झोले से निकालती है और एक ही झटके में भेड़िए का पूंछ काट डालती है'।
भेड़िया कुछ समझ पाता उससे पहले ही उसका पूंछ उसके शरीर से अलग हो जाता है और वह चिल्लाते हुए भागने लगता है और कहता है 'तूने मेरी पूंछ काटी है मैं तूझे नही छोड़ूंगा', इसका बदला मैं जरूर लूंगा'। वह शैतान भेड़िया यह बड़बड़ाते हुए जंगल की ओर भाग जाता है और इधर रामू की मां भी अपने बेटे के पास दौड़ते हुए जाती है और सारी बात बताती है।
रामू अपनी मां की बात सुनकर जोड़ - जोड़ से हसनें लगता है और कहता है 'उस दुष्ट के साथ ऐसा ही होना चाहिए था'! उसके बाद फिर रामू अपनी मां से कहता है ' तुमने तो उस भेड़िए को अच्छा सबक सिखाया अब मेरी बारी है!' रामू फिर अपनी मां से कहता है 'सुनो मां तुम एक काम करना तुम उस भेड़िए के पास जाना और अपनी गलती के लिए माफी मांगना और साथ ही उसे दो दिन बाद भोज के लिए दावत भी दे देना, उसके बाद फिर देखना क्या होता है और साथ में उसके रिश्तेदारो को भी साथ में आने को कह देना।
रामू की बात सुनकर उसकी मां ने ठीक वैसा ही किया वे उस भेड़िए के पास गई और अपनी गलती के लिए माफी मांगी और भोज का दावत भी दी और बोली अपने साथ अपने रिश्तेदारो को भी इस दावत में जरूर लेकर आना है। रामू की मां को देखकर पहले तो भेड़िया गुस्से से गुड़्डाया, लेकिन जैसे ही भोज की बात सुनी उसके मुह से लार टपकने लगा और वह भोज में आने के लिए राजी हो गया। फिर रामू की मां वहां से अपने घर चली जाती है।
दो दिन बाद पूंछ कटा भेड़िया अपने साथ और भेड़ियो को लेकर रामू के यहां आता है और आराम से बैठ कर बोलता है 'लाओ भोज खिलाओ..…बड़ी भूख लगी है'
रामू की मां कहती है 'हां - हां भोज तैयार हो रहा है बस थोड़ी देर और'! इतना कहकर वह सारे भेड़ियो को गर्दन में रस्सी डालकर बांधने लगती है ये देखकर पूंछ कटा भेड़िया चौक जाता है और कहता है ' अरे बुढ़िया यह क्या कर रही है? क्यो सबको रस्सी से बांध रही है। भेड़िए की बात सुनकर रामू की मां बोली 'आज भोज में तरह- तरह के पकवान बने है तुम ठहरे भेड़िया.... स्वादिष्ट पकवान देखकर तुम खाने के लिए आपस में ही झगड़ो मत इसलिए सबको मैं रस्सी से बांध रही हूं' ऐसा कहते हुए उसने सारे भेड़ियो को रस्सी से बांधकर एक पेड़ में बांध दिया और वो अंदर रसोई मे चली गई।
रामू की मां की बात सुनकर पूंछ कटा भेड़िया बोला 'ठीक है ठीक है और अब ज्यादा देर मत लगाओ और जल्दी खाना दो मुंह में पानी आ रहा है' रसोई से रामू की मां बोली बस अब पूड़िया तली जा रही है थोड़ी देर और' ।
अंदर रसोई में भोज तो बन ही नही रहा था। दरअसल ये सब तो उस शैतान भेड़िए को सबक सिखाने के लिए किया जा रहा था। रसोई नें गर्म तैल की कढ़ाई में रामू की मां पानी का छीटा मारती... तो इधर इन भेड़ियो को लगता की पूड़िया , कचौडिया और जलेबिया तली जा रही है ये उसी की अवाज है और वे सब बहुत खुश होते तथा आपस में ही उत्साह से उछल कूद करते।
इधर रसोई से रामू की मां ने रामू को जोरदार अवाज लगाई और बोली 'बेटा जल्दी बाहर आओ सब तैयार है भोज के लिए!' मां की बात सुनकर रामू अपने कमरे से निकलता है और वो अपने साथ एक मोटा डंडा भी लिए रहता है रामू भेड़ियो की ओर आगे बढता है।
रामू के हाथ में डंडा देखकर भेड़ियो के प्राण सूखने लगते है वे समझ जाते है कि अब उनकी खैर नही है! भागने की कोशीश करतेे है पर रस्सी से बंधे होने के कारण भाग नही पाते। रामू भेड़ियो के पास जाकर खड़ा हो जाता है और कहता है! तुम सबने मेरी मां को बहुत परेशान किया है आज सबका हिसाब मैं करूंगा! और इतना कहकर रामू सारे भेड़ियो को डंडे से पीटने लगता है। डंडे की मार से भेड़िए चिल्लाने लगते है और वो भागने की कोशीश में रस्सी तोड़ने लगते है। किसी के पावं पर तो किसी के पीठ पर किसी के सर पर डंडा चलने लगता है।
डंडे की मार से भेडिए रामू से माफी मागने लगते है और फिर कभी उसकी मां को परेशान नही करेंगे ऐसा बोल कर रस्सी तोड़ तोड़ कर सब भागने लगते है।
अगले दिन से रामू की मां उसके लिए खाना लेकर खेत में जा रही होती है तो वह भेड़िया दूर से ही रामू की मां को देखकर भागने लगता है और कहता है....अब और नही ....अब कही भी भोज खाने नही जाउंगा।
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